आखिर कैसा होता होगा हॉस्टल,पढिये हॉस्टल कि कुछ अनदेखी और अनोखी बातें
हॉस्टल, एक ऐसी जगह जहां आजादी, मस्ती और फैशन का फुल मॉकटेल होता है। यही नहीं अक्सर लोगों के बीच ये बातें भी होती हैं कि आखिर कैसा होता होगा हॉस्टल । कोई भी हॉस्टल अपने आप में एक पूरी दुनिया होती है जहां हर धर्म, संस्कृति और क्षेत्र से लोग आते हैं। यहां हर आदतों वाले लोग मौजूद होते हैं, आप उन्हें पसंद करें या नापसंद यह आपके ऊपर है। और बात अगर ब्वॉयज हॉस्टल की करें तो कोई भी बाहरी व्यक्ति अगर यहां एक दिन भी रूके तो वह अचंभित हो जाएगा कि वह किस दुनिया में आ गया है। हॉस्टल के कमरे से लेकर मेस तक का माहौल ऐसा रहता है जिसकी कल्पना हॉस्टल के बाहर नहीं की जा सकती है।"हर किसी को जिंदगी में एक बार हॉस्टल लाइफ जरूर जीनी चाहिए" ये स्टेटमेंट किसी महापुरुष का नहीं बल्कि हॉस्टल से निकलने वाले एक हॉस्टलर का होता है। घर से दूर हॉस्टल एक ऐसी दुनिया है जहां खुशी और गम दोनों मिलते हैं और इनके साथ हम जिंदगी जीना सीख जाते हैं। हॉस्टल की यारी-दोस्ती एक ऐसी चीज है जो आपको हर हाल में खुश रहना सिखा देती है। इस दोस्ती को आप ता-उम्र याद रखते हैं, आपके साथ रहने वाले ही आपके सबसे करीबी हो जाता है। रात में घर की याद आए तब आपके रूम पार्टनर ही आपके आंसू पोंछते हैं. कई बार तो नजारा देखने लायक होता है, जब किसी एक को चुप कराने में दूसरे का इमोशनल ड्रामा शुरु हो जाता है । दोस्ती-यारी तो यहां ऐसे निभाई जाती है जैसे जन्मों से एक-दूसरे को जानते हों ।
यहां आपको किसी भी तरह के इलेक्ट्रिॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल की मनाही होती है, कहीं आपने प्रेस रखी है और इसके बारे में वॉर्डन को पता चल गया तो तो बस खैर नहीं है।सबसे पहला रूल जो हॉस्टल में घुसने के साथ बताया जाता है वो है रात 10 बजे के पहले आपको हर हाल में हॉस्टल पहुंचना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपके पेरेंट्स से बात करने बाद ही दरवाजे खोले जाएंगे। इस नियम को सुनकर पेरेंट्स जितने खुश होतें हैं वहीं रहने वाला दुखी। इस बात को आपने पहले गौर किया नहीं हो कि घर से आने से पहले हम कपड़े पूरे तौर-तरीकों से पहनते हैं। यहां हर टाइप के प्राणी बसते हैं। कोई है कि सोता रहता है तो कोई रात भर जगा रहता है। कोई शांत है तो किसी की आवाज हॉस्टल में गूंजती रहती है। यहां हम आपको हॉस्टल के कुछ ऐसे ही कैरेक्टर्स के बारे में बताने वाले हैं...
हमेशा खोए से रहने वाला: पता नहीं इस टाइप के लोग किस ग्रह पर विचरण करते रहते हैं। इन्हें जब भी देखो तो ऐसा लगता है कि इनका कुछ खो गया है और यह उसे खोजने की कोशिश कर रहे हों।
भैया/दादा: ये ऐसे लोग होते हैं जो सभी की मदद के लिए तैयार रहते हैं। मस्ती करते समय इन्हें कोई पूछे न पूछे लेकिन मुसीबत के समय सब इन्हीं को याद करते हैं।
पार्टी बाज बस मौका होना चाहिए, पार्टी अरेंज ये खुद कर लेंगे: हॉस्टल के ऐसे लड़कों को बस पता होने की देरी है कि फलना स्टूडेंट का बर्थडे इस तारीख को है, पैसे के इंतजाम से लेकर कमरे सजाने तक का काम ये खुद कर लेते हैं. यही नहीं, ये किसी से जबर्दस्ती पार्टी लेने में भी माहिर होते हैं।
धार्मिक: ये ऐसे लोग हैं जो परीक्षा देने से पहले, रिजल्ट आने से पहले, कहीं जाने से पहले, पेपर प्रेंजेंट करने से पहले हर बात पर भगवान को याद करना नहीं भूलते हैं। इनके आस-पास के कमरों में रहने वाले स्टूडेंट पर्व-त्योहार पर पूजा करने के लिए इनसे फूल, अगरबत्ती मांग कर ले जाते हैं। कोई भी मुसीबत हो, ये उसे ऊपरवाले पर छोड़ देते हैं।
फेकू नंबर वन: कोई भी मौका हो ये झूठ बोलना नहीं छोड़ते हैं, इनकी पोल खुलने से पहले ही ये एक नई कहानी गढ़कर तैयार हो जाते हैं, हॉस्टल में झूठी बातों को फैलाने का ठेका भी इन्हीं के पास होता है।
नेता टाइप: आप हॉस्टल में घुसते ही पहचान जाएंगे कि यहां नेता कौन है, इनके पहनावे से लेकर इनका कमरा तक इस बात की गवाही देता है कि ये कॉलेज के नेता हैं, अगर नेता वैचारिक रूप से कमजोर है और पैसे वाला है तो इनके आस-पास हमेशा चेलों की भीड़ जमा रहती है।
मेरी आवाज ही पहचान है: हॉस्टल के किसी भी कोने में ये रहें लेकिन इनकी आवाज हर तरफ आती रहती है, ये कभी भी शांति से नहीं बात करते हैं. बहस हो या हसी-मजाक इन्हें चिल्लाने की बुरी बीमारी होती है।
गेम खेलने में मशगूल: आप इनके कमरे में जाएं या मेस में साथ खाना खाएं, इनका पूरा ध्यान गेम पर होता है और यह हमेशा अपना ही रिकॉर्ड तोड़ने और लेवल पार करने के चक्कर में होते हैं।
फोन पर व्यस्त रहने वाले: इनका रुममेट हमेशा इनसे परेशान रहता है, ये देर रात तक फोन पर लगे रहते हैं,रुममेट की परेशानी जब इन्हें समझ में आ जाती है तो ये या तो कॉरिडोर में पाए जाते हैं या हॉस्टल की सीढ़ियों पर।
पढ़ाकू नंबर वन: इनके लिए परीक्षा का समय हमेशा नजदीक रहता है, ये न तो किसी पार्टी में मिलते हैं और न ही कहीं घुमने जाते हैं। इन्हें ऐसी कोई भी एक्टिविटी में हिस्सा लेना फिजुल में समय बर्बाद करना लगता है, लेकिन क्या करें ये तमाम कोशिशों के बावजूद भी कॉलेज में टॉप नहीं कर पाते हैं।
"हर किसी को जिंदगी में एक बार हॉस्टल लाइफ जरूर जीनी चाहिए" ये स्टेटमेंट किसी महापुरुष का नहीं बल्कि हॉस्टल से निकलने वाले एक हॉस्टलर का होता है। घर से दूर हॉस्टल एक ऐसी दुनिया है जहां खुशी और गम दोनों मिलते हैं और इनके साथ हम जिंदगी जीना सीख जाते हैं। हॉस्टल की यारी-दोस्ती एक ऐसी चीज है जो आपको हर हाल में खुश रहना सिखा देती है। इस दोस्ती को आप ता-उम्र याद रखते हैं, आपके साथ रहने वाले ही आपके सबसे करीबी हो जाता है। रात में घर की याद आए तब आपके रूम पार्टनर ही आपके आंसू पोंछते हैं. कई बार तो नजारा देखने लायक होता है, जब किसी एक को चुप कराने में दूसरे का इमोशनल ड्रामा शुरु हो जाता है । दोस्ती-यारी तो यहां ऐसे निभाई जाती है जैसे जन्मों से एक-दूसरे को जानते हों ।
घर में उठने का और सोने का नियम होता है, जिसे सबसे पहले हॉस्टल में आकर स्टूडेंट्स तोड़ते हैं। यहां दिन शुरू होता है रात में और रात होती है दिन में, अब सवाल ये है कि रात में होता क्या है तो जवाब में हर हॉस्टलर यही कहेगा कि गाने गाना, मूवी देखना, यही नहीं आठ बजे खाना खा लेने के बाद दोबारा रात में दो बजे उठकर कुछ चुटुर-पुटर खाना आम बात होती है। यही नहीं 'जुगाड़' से चोरी-छिपे चाय बनाने का भी अपना अलग ही मजा होता है। सबसे कॉमन बात कि सारे हॉस्टलर्स कपड़े रात में ही धोने बैठते हैं। यहां अगर कोई सबसे ज्यादा आखों को अखरता हे तो वो होता है वॉर्डन । वो एक ऐसा सदस्य होता है जिसके अंदर हिटलर की आत्मा बसी होती है।
सबसे ज्यादा इंतजार हॉस्टलर्स को इस बात का होता है कि घर से कौन आया है। घर से आने का मतलब आपके साथ खाने की तमाम चीजें आईं होगी। बस फिर क्या आपके बैग की पूरी चेकिंग मिनटों में हो जाती है. आप रास्ते की थकान मिटाने के लिए नहाने जाते हैं और जब वापस आते हैं तब तक मां के हाथ के बने बेसन के लड्ड, मठरी और नमकीन गायब हो चुकी होती है. यहां रहने वाले हर बंदे को सचेत रहने की आदत पड़ जाती है. आपके पास कितना सामान है और कैसे संभाल कर रखना है इस बात का ध्यान रखना होता है।
यहां आपको किसी भी तरह के इलेक्ट्रिॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल की मनाही होती है, कहीं आपने प्रेस रखी है और इसके बारे में वॉर्डन को पता चल गया तो तो बस खैर नहीं है।सबसे पहला रूल जो हॉस्टल में घुसने के साथ बताया जाता है वो है रात 10 बजे के पहले आपको हर हाल में हॉस्टल पहुंचना होगा। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपके पेरेंट्स से बात करने बाद ही दरवाजे खोले जाएंगे। इस नियम को सुनकर पेरेंट्स जितने खुश होतें हैं वहीं रहने वाला दुखी। इस बात को आपने पहले गौर किया नहीं हो कि घर से आने से पहले हम कपड़े पूरे तौर-तरीकों से पहनते हैं। यहां आकर पजामा-टीशर्ट के अलावा कोई और समझ नहीं आता है, सबसे ज्यादा सलीके से हॉस्टलर्स तैयार तब होते हैं जब घरवाले उनसे मिलने आते हैं. उस दौरान तो शराफत इस कदर टपकती है कि बस पूछो ही मत।