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जो विरासत को भूल जाता है वह देश आगे नहीं बढ़ सकता : पीएम मोदी

मोदी सरकार का एजेंडा विकास है, न कि इतिहास को नए सिरे से लिखना या फिर अतीत की गलतियों को ठीक करना

दुनियाभर में हिन्दुस्तान की पहचान के प्रतीकों में शुमार किए जाने वाले ताजमहल को उत्तर प्रदेश के पर्यटन प्रसार से जुड़ी एक बुकलेट में जगह नहीं दिए जाने को लेकर हाल ही में विवाद हुआ था, और अब, राज्य में सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विवादास्पद विधायक संगीत सोम ने ताजमहल को 'भारतीय संस्कृति पर कलंक' बताते हुए कहा है कि ताजमहल का निर्माण 'गद्दारों' ने किया था.

संगीत सोम ने कहा, "बहुत-से लोग इस बात से चिंतित हैं कि ताजमहल को यूपी टूरिज़्म बुकलेट में से ऐतिहासिक स्थानों की सूची से हटा दिया गया... किस इतिहास की बात कर रहे हैं हम...? जिस शख्स (शाहजहां) ने ताजमहल बनवाया था, उसने अपने पिता को कैद कर लिया था... वह हिन्दुओं का कत्लेआम करना चाहता था... अगर यही इतिहास है, तो यह बहुत दुःखद है, और हम इतिहास बदल डालेंगे... मैं आपको गारंटी देता हूं..." संगीत सोम ने मुगल बादशाहों बाबर, औरंगज़ेब और अकबर को 'गद्दार' कहा, और दावा किया कि उनके नाम इतिहास से मिटा दिए जाएंगे.

ऐसे बेतुके बयान भाजपा के राजनीतिक विरोधियों के मन की मुराद ही पूरी करते हैं। उन्हें बैठे-ठाले यह प्रचार करने का मौका मिलता है कि भाजपा का एजेंडा विकास नहीं, नित-नए विवाद पैदा करना है। यह समझना कठिन है कि भाजपा अपने बड़बोले नेताओं पर लगाम लगाने में नाकाम क्यों है? अगर यह समझा जा रहा है कि संगीत सोम सरीखे नेताओं के बेतुके बयानों को उनके निजी बयान बता देने भर से नुकसान की भरपाई हो जाती है, तो यह सही नहीं। हर बेतुका बयान किसी न किसी स्तर पर पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाता है। कई बार अपने नेताओं के गैरजरूरी बयानों के चलते भाजपा नेतृत्व को ऐसे विमर्श में उलझना पड़ता है जो विकास के उसके एजेंडे से लोगों का ध्यान भटकाता है। यह नितांत आवश्यक है कि भाजपा बेतुके बयान देने वाले अपने नेताओं के प्रति और सख्ती बरते।

यह आश्चर्य की बात है कि तीन साल बाद भी संगीत सोम जैसे भाजपा के कई नेता यह समझने से इनकार कर रहे हैं कि मोदी सरकार का एजेंडा विकास है, न कि इतिहास को नए सिरे से लिखना या फिर अतीत की गलतियों को ठीक करना। नि:संदेह यूपी में भी भाजपा को प्रचंड बहुमत इसलिए नहीं मिला कि लोग यह चाह रहे थे कि ताजमहल को अलग नजरिये से देखने का काम किया जाना है। क्या यह भाजपा के एजेंडे में था कि सत्ता में आए तो यह पता लगाएंगे कि ताजमहल किन परिस्थितियों में और कैसे बना? इसी तरह क्या ऐसा कोई वादा किया गया था कि इतिहास से कुछ लोगों का नाम निकाला जाएगा? आखिर जो कुछ अतीत में हो चुका या फिर बन-बिगड़ चुका, उसमें फेरबदल करने का क्या मतलब? बेहतर हो कि सोम व उनके जैसे अन्य लोग ताजमहल को जैसा है, वैसा ही बना रहने दें। यदि उन्हें दुनियाभर में पहचान रखने वाली इस इमारत में कुछ खास नजर नहीं आता तो वह उसकी सराहना न करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन ऐसी बातों का कोई मतलब नहीं कि ताजमहल तो गद्दारों ने बनवाया था।

बीजेपी के सांसद अंशुल वर्मा ने भी इसी विचार से सहमति जताते हुए कहा, "ताजमहल पर्यटन स्थल है... इसे भारतीय संस्कृति से न जोड़ें... सोम ने जो कुछ भी कहा, उसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है... इसका राजनीतिकरण न करें..."

इसी महीने की शुरुआत में टूरिज़्म ब्रोशर में से 17वीं सदी में संगमरमर से बनाए गए ताजमहल को हटा दिए जाने पर काफी विवाद हुआ था. बहुत-से लोगों ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार पर जानबूझकर इस स्मारक की अनदेखी करने का आरोप लगाया था, जिसे मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था. राज्य की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने इस विवाद के बाद सफाई देते हुए कहा था, "ताजमहल हमारी सांस्कृतिक विरासत है, और दुनिया के सबसे मशहूर पर्यटन स्थलों में शुमार किया जाता है..."

रीता बहुगुणा जोशी ने यह भी कहा था, "सांस्कृतिक धरोहर का संपूर्ण विकास तथा वहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाना राज्य सरकार की प्राथमिकता है..." यह बुकलेट राज्य में बीजेपी सरकार के छह माह पूरे होने के मौके पर जारी की गई थी, तथा इसमें राज्य की प्रमुख पर्यटन स्थलों का उल्लेख किया गया था. इसमें गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर का भी ज़िक्र था, जिसके प्रमुख मुख्यमंत्री स्वयं हैं. जून में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कहा था कि मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया प्यार का स्मारक भारतीय संस्कृति का परिचायक नहीं है. राज्य के एक अन्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने ताजमहल के बुकलेट में नहीं होने को 'मिसकम्युनिकेशन' की संज्ञा दी थी. हैदराबाद से एमआईएम पार्टी के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संगीत सोम के बयान पर प्रतिक्रिया में कहा, "यह सरकार इतिहास से नफरत में अंधी हो गई है... मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि दुनिया की सांस्कृतिक धरोहरों की सूची से ताजमहल को हटवाने के लिए UNESCO से कहें... सभी से कहें, अगर आप भारत आते हैं, तो ताजमहल देखने मत जाइए..." बीजेपी नेताओं की मुगल बादशाहों को लेकर की गई टिप्पणियों का मज़ाक उड़ाते हुए जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, "अब 15 अगस्त पर लालकिले से भाषण नहीं होगा...? प्रधानमंत्री नेहरू स्टेडियम से राष्ट्र को संबोधित करेंगे, जो कुछ दिलों में अगाध उत्साह और खुशी भर देगा..."

लालू ने इशारों ही इशारों में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के पुत्र जय शाह की कंपनी की आय में अचानक हुई भारी वृद्धि पर कटाक्ष करते हुए पैरोडी के अंदाज में ट्वीट कर आगे लिखा,….

वो 'ताज' की बात करे तो तुम 'कामकाज' की करना। वो 'गाय' की कहे तो तुम 'आय' की कहना। वो 'शाहजहां' की बात करे तो तुम 'जयशाह' पर अड़े रहना।

जो विरासत को भूल जाता है वह देश आगे नहीं बढ़ सकता : पीएम मोदी एक ओर ताजमहल जैसी विरासत को बीजेपी नेता ग़ुलामी का प्रतीक बता रहे हैं. तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि वो देश कभी आगे नहीं बढ़ सकता है, जो अपनी विरासतों को भूल जाता है.

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